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पञ्चाङ्ग - 20-11-2025

 *🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

Jyotis


*🎈दिनांक 20 नवंबर 2025 *
*🎈 दिन -  गुरुवार*
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - शरद*
*🎈 मास - मार्गशीर्ष*
*🎈 पक्ष - कृष्ण पक्ष*
*🎈तिथि-        अमावस्या    12:16:08*am तत्पश्चात्  प्रतिपदा*
*🎈 नक्षत्र -     विशाखा    10:57:50* am  तत्पश्चात्     अनुराधा*
*🎈 योग    -शोभन    09:51:49*am तक तत्पश्चात् अतिगंड*
*🎈करण    -         नाग    12:16:08
Pm तक तत्पश्चात् किन्स्तुघ्न*
*🎈 राहुकाल -हर जगह का अलग है- 01:41 pm to 03:01pm तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)* 
*🎈चन्द्र राशि-      वृश्चिक*
 *🎈सूर्य राशि-       वृश्चिक*
*🎈सूर्योदय - 07:00:20am*
*🎈सूर्यास्त -17:40:51pm* 
*(सूर्योदय एवं सूर्यास्त ,नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*🎈ब्रह्ममुहूर्त - 05:13 ए एम से 06:06:06( ए एम प्रातः तक *(नागौर 
राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈अभिजित मुहूर्त- 11:59 ए एम से 12:42 पी एम*
*🎈 निशिता मुहूर्त - 11:54 पी एम से 12:48 ए एम, नवम्बर 21*
*🎈 सर्वार्थ सिद्धि योग    -10:58 ए एम से 07:00 ए एम, नवम्बर 21*
*🎈 व्रत एवं पर्व-अमावस्या
*🎈विशेष -  मार्गशीर्ष महात्म्य*
hotel

devart

hero

totata

shyam


🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴
   
    *🛟चोघडिया, दिन🛟*
   नागौर, राजस्थान, (भारत)    
   मानक सूर्योदय के अनुसार।

*🍁 *दिन का चौघड़िया-06:59 ए एम*

शुभ - उत्तम-06:59 ए एम से 08:19 ए एम*

रोग - अमंगल-08:19 ए एम से 09:40 ए एम*

उद्वेग - अशुभ-09:40 ए एम से 11:00 ए एम*

चर - सामान्य-11:00 ए एम से 12:21 पी एम*

लाभ - उन्नति-12:21 पी एम से 01:41 पी एम*

अमृत - सर्वोत्तम-01:41 पी एम से 03:01 पी एम*

काल - हानि03:01 पी एम से 04:22 पी एम काल वेला*

शुभ - उत्तम-04:22 पी एम से 05:42 पी एम वार वेला*

      *🛟चोघडिया, रात्🛟*

*🎈रात्रि का चौघड़िया-05:42 पी एम*

अमृत - सर्वोत्तम-05:42 पी एम से 07:22 पी एम*

चर - सामान्य-07:22 पी एम से 09:02 पी एम*

रोग - अमंगल-09:02 पी एम से 10:41 पी एम*

काल - हानि-10:41 पी एम से 12:21 ए एम, नवम्बर 21*

लाभ - उन्नति-12:21 ए एम से 02:01 ए एम, नवम्बर 21 काल रात्रि*

उद्वेग - अशुभ-02:01 ए एम से 03:40 ए एम, नवम्बर 21*

शुभ - उत्तम-03:40 ए एम से 05:20 ए एम, नवम्बर 21*

अमृत - सर्वोत्तम-05:20 ए एम से 07:00 ए एम, नवम्बर 21*
kundli


     🚩*श्रीगणेशाय नमोनित्यं*🚩
  🚩*☀जय मां सच्चियाय* 🚩
🌷 ..# 💐🍁🍁✍️ | वृंदावन से मथुरा जाने के बाद कृष्ण फिर कभी वृंदावन वापस नहीं लौटे ||.......❗️
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 👉 🍁 #वृंदावन से मथुरा जाने के बाद #कृष्ण फिर कभी वृंदावन वापस नहीं लौटे।

केवल दो बार वह राधा से मिले थे। एक कुरुक्षेत्र मे और दूसरी बार उस मूसल युद्ध के पहले की जिसमें शराब पीकर आपस में लड़ते हुए सभी यदुवंशी मर गये थे। प्रभास क्षेत्र यादवों का एक बहुत पवित्र स्थल था। ध्यान दीजिए कि विख्यात प्रथम शिवलिंग सोमनाथ प्रभास क्षेत्र में ही है। इस मंदिर का सुसज्जीकरण भी श्रीकृष्ण ने ही कराया था। इसके उत्तर में प्रभास का विस्तृतभू भाग है। इसी स्थान पर मैदान से थोड़ी दूर पर बहेलिये ने श्रीकृष्ण के पैर में बाण मारा था। यहां हर वर्ष एक पूजा समारोह होता था जिसमें यादव गणतंत्र के सभी लोग आबालवृद्ध भाग लेते थे। गोलोक जाने के पहले एक बार श्रीकृष्ण ने समस्त ब्रजवासियों को प्रभास तीर्थ में मिलने के लिए बुलाया था। वृंदावन से जाने के बाद राधा कृष्ण की यही दूसरी और अंतिम भेंट थी। रुक्मिणी भी आई थीं। इस पर सूरदास जी ने एक बहुत भावपूर्ण पद लिखा है.....

रुक्मणि राधा ऐसो भेंटी

बहुत दिनन की बिछुरी जइसे एक बाप की बेटी

इसका बाद राधा कृष्ण का आमना सामना हुआ। मिलते ही राधा ने कहो कृष्ण कैसे हो? कृष्ण हतप्रभ रह गए।अचकचाते हुए कहा क्या कहती हो राधा ?

मैं तुम्हारे लिए कृष्ण कब से हो गया?

मैं तो अब भी तुम्हारे लिए कान्हा ही हूं। राधा ने कहा नहीं कृष्ण अब तुम कान्हा नहीं रहे, बहुत बदल गये हो।

क्या बदलाव आ गया है मुझमें?

राधा- कोई एक हो तब न बताऊं। अगर तुम श्याम होते तो सुदामा के पास तुम जाते। सुदामा को तुम्हारे पास नहीं आना पड़ता।
तुम वनमाली थे। तुम्हारे गले में वनमाला शोभती थी। शायद तुम्हें नहीं मालूम हुआ होगा कि तुम्हारे लिए माला बनाने के लिए मैं और मेरी सखियां ललिता विशाखा अनुराधा कुसुम शैव्या आदि वृंदावन के सात वनों से फूल चुनती थीं। कितनी बार बाहों में खरोंच आई। ओढनियां फट जाती थी।घर पर मार पड़ती थी।पर जब तुम वही वनमाला पहन कर हंसते थे तो आत्मा तृप्त हो जाती थी। लगता था कि लोक परलोक दोनों बन गये। आज तुम्हारे गले की वह वनमाला कहां गई?

आज तुम्हारे गले में हीरे-जवाहरात जड़ित सोने की माला है। जिन हाथों में मुरली शोभायमान होती थी उन हाथों में सुदर्शन चक्र आ गया है। जब तुम मुरली बजाते थे तो मनुष्य क्या पशु पक्षी भी सुनने के लिए जुट जाते थे। आज उन्हीं हाथों से संहार कर रहे हो। लोग कहते हैं कि तुम भगवान हो और ऐसा तुमने भी गीता में कहा है...

मत्तम् परततरंनान्यत किंचिदस्ति धनंजय:
मयि सर्वमदिमश्रोतं सूत्रे मणिगणाइव।

पर मैंने तो तुम्हें ब्रह्म माना ही नहीं। तुम तो मेरे नंद के लाल मुरलीधर श्याम थे एक सामान्य ग्वाला। तुम्हारे इस रूप का तो पता ही नहीं था। तुमने ऊधौ को भेजा था हमें निर्गुण ज्ञान बताने के लिए। ऊधौ ने तो बताया ही होगा कि हमारा प्रेम क्या है और उनकी क्या गति।

कृष्ण सुनते रहे और तब कहा... लेकिन मैं तो तुम्हें अब भी याद करता हूं। तुम्हारी याद आती है तो आंखों आंसू निकलते हैं।

राधा- लेकिन मैं तो तुम्हें कभी याद नहीं करती। याद तो उसको किया जाता है जो कहीं दूर चला गया हो। तुम तो कभी मेरे हृदय से गये ही कहां थे जो याद करना पड़ता। रही मेरे न रोने की बात तो कान्हा मैं इस लिए नहीं रोई कि मेरी आंखों में बसे हुए तुम कहीं आंसुओं के साथ निकल न जाओ। भक्त का भाव देखकर भगवान विह्वल हो गए। बोले राधा तुम जीती मैं हारा।

राधा- याद रखना कृष्ण मेरे बिना अधूरे रहोगे। संसार में जहां भी तुम्हारी पूजा होगी मैं साथ रहूंगी। एक को छोड़कर (जगन्नाथ जी)। कोई ऐसा मंदिर नहीं होगा जहां मैं तुम्हारे साथ नहीं होऊंगी। हमेशा तुम्हारे नाम के पहले मेरा नाम लिया जाएगा ठीक उसी प्रकार जैसे पूर्व में प्रभु श्रीराम के पहले माँ सीता का नाम आया।

भगवान श्रीकृष्ण ने एवमस्तु कहा और एक अंतिम बात कही की राधा अब इस जीवन में मेरी तुम्हारी भेंट नहीं होगी पर मैं तुम्हें कुछ देना चाहता हूँ, जो भी इच्छा हो मांग लो। राधा ने कहा कन्हैया मुझे तो सब कुछ मिल चुका है और कुछ नहीं चाहिए। मेरा तुम्हारा प्यार अमर रहे। जब तक इस धराधाम पर एक भी प्राणी जीवित रहे मुझे तुम्हारे साथ याद करता रहे। परंतु कहते ही हो तो एक बार वही मुरली की तान एक बार और सुना दो।

भगवान भक्त की इस इच्छा को टाल न सके जबकि सर्वज्ञ सर्वशक्तिमान कृष्ण इसके भयावह परिणाम को जानते थे। फिर भी उन्होंने बहुत दिनों से संजोकर रखी हुई बांसुरी निकाली और एक अद्भुत अविस्मरणीय तान छेड़ दिया। सारा संसार तरंगित हो उठा। यद्यपि कृष्ण ने अनेकों बार मुरली बजाया था पर यह तान विलक्षण थी, अद्भुत शांति थी और हृदय के तार को झंकृत करने वाली थी। ऐसी धुन न कभी बजी थी और न कभी बजेगी।
सुध-बुध खोकर राधा बंशी की धुन सुनती हुई कृष्ण में ही समा गई।


      🌼 ।। जय श्री कृष्ण ।।🌼
       💥।। शुभम् भवतु।।💥
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🔱🇪🇬जय श्री महाकाल सरकार 🔱🇪🇬 मोर मुकुट बंशीवाले  सेठ की जय हो 🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*♥️ रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)* 
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।* 
🕉️📿🔥🌞🚩🔱ॐ  🇪🇬🔱
vipul

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